राहत इन्दोरी -2

जिहालातो के अंधेरे मिटा के लौट आया |

मै आज साडी किताबे जलाके लौट आया |

वो अब भी बैठी सिसककर रही होगी |

मै अपना हाथ हवा में हिलाकर लौट आया |

ख़बर मिली है की सोना निकल रहा है वहा

मै जिस जमीं पे ठोकर लगाके आया |

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