ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से

ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से
देखो बादल कहाँ आज बरसे।

फिर हुईं धड़कनें तेज़ दिल की
फिर वो गुज़रे हैं शायद इधर से।

मैं हर एक हाल में आपका हूँ
आप देखें मुझे जिस नज़र से।

ज़िन्दग़ी वो सम्भल ना सकेगी
गिर गई जो तुम्हारी नज़र से।

बिजलियों की तवाजों में ‘बेकल’
आशियाना बनाओ शहर से।

Rahat Indori Live in Mushaira

Search

My Blog List