दुष्यंत कुमार - 1

लफ्ज़ एहसास से छाने लगे , ये तो हद है
लफ्ज़ मन भी छुपाने लगे , ये तो हद है

आप दीवार गिराने के लिया आये थे
आप दीवार उठाने लगे , ये तो हद है

खामोशी शोर से सुनते थे की घबराती है
खामोशी शोर मचाने लगे , ये तो हद है

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