दुष्यंत कुमार - 3

रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया
इस बहकती हुई दुनिया को संभालो यारों

कैसे आकाश में सूराख नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों

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